Thursday, September 18, 2008

खुशी


सोचा करती हूँ मैं क्या होती है खुशी,
क्यों खेला करती है कभी होठों पर शरारत भरी हँसी
माँ की गोद में मिला सुकून है खुशी ,
तो दोस्त के गले लगने में भरा जज्बात भी है खुशी ।
सच्चे दिल से निकली प्रार्थना दे जाती है खुशी ,
तो नन्हे की एक मुस्कान भी आँखों में भर देती है खुशी ।
कभी प्यारी कली की खूबसूरती दे जाती है खुशी ,
तो सतरंगी गगन में स्वप्नों की उड़ान भी दे जाती है खुशी ।
सफलता के सोपान चढ़ते जाना है खुशी ,
तो झुककर गिरते को संभालना भी है खुशी
प्रकृति का अनुपम सानिध्य भर देता है सुकून भरी खुशी ,
तो अपनी कृति को अपलक निहारना भी है खुशी ।
दृढ़ता भरी जीत तो दे ही जाती है खुशी ,
पर मुस्कान भरी हार भी तो दे जाती है खुशी ।
बिछडे दोस्त को पाना है खुशी,
पर शत्रु के संग मुस्कुराना भी तो है खुशी ।
तिनका तिनका जोड़ रिश्तों का आशियाँ बनाना है खुशी ,
और अपनों के साथ वक्त बिताना भी है खुशी ।
प्यार पाना तो सभी को दे जाता है खुशी ,
पर प्यार लुटाने की सच्ची साक्षी है खुशी ।
झलका करती सिर्फ़ मुस्कान में ही नहीं ,
आंखों से निकले मोतियों का नाम भी है खुशी ।
क्यों भटका करते हैं हम खुशी की खोज में ,
जब ज़िन्दगी के हर पल में समाई है खुशी ....